शोर के उलट, ये सोर है, पवन का सोर... सोर यानी मधुर आवाज़, एक मीठे गीत की तरह, जो दिल से निकले और दिलों को छू जाए. कुछ कच्चे-पक्के खयाल, कुछ आधी-अधूरी बातें, कुछ मीठी सी टीसें, कुछ प्यारी शिकायतें, तो कुछ बेबाक जवाब भी. खयालों के आसमान में उड़ते हुए शब्दों के पंछी, जो किसी भी मुंडेर पर बैठकर सुस्ता लें. कोई नियम नहीं, कायदा नहीं. खालिस अल्हड़ता. कुछ अच्छा, तो कुछ चुभता हुआ सा भी, पर जो भी है, सच्चा है, सौंधा है. इसमें सोने की कीमत या हीरे की चमक नहीं, पर काँच की खनक और मिट्टी की महक ज़रूर है. ये एक ताज़ी सी बयार है, ये पवन का सोर है...
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20/03/2021
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