आँखें सीख रही हैं मिलना
14/01/2021
तू जो यूँ मुस्कुराने लगी है
14/01/2021

अब तू ही दुआ बन गई है

तू दुआओं में नहीं,
अब तू ही दुआ बन गई है.
क्या रोज़ा, क्या सजदा, क्या इबादत करूँ खुदा की,
एक काफ़िर को हर शै मिल गई है,
अब तू ही दुआ बन गई है… अब तू ही दुआ बन गई है.
अब शिकायत नहीं कोई भी ज़िन्दगी से
अब बगावत नहीं कोई भी खुद से, किसी से
अब मुस्कुराहटें रहती हैं लब पे
अब आती हैं खुशबुएँ हर कहीं से
ना जाने कैसा जादू कर गई है
अब तू ही दुआ बन गई है… अब तू ही दुआ बन गई है.
तेरे मिलने के बाद अब और किसे चाहूँ मैं
तुझे मना लिया, अब और किसे मनाऊँ मैं
ये ख्वाब नहीं, ख्वाब से भी हसीं है
बस तेरा ही नाम लूँ, तुझे ही खुदा बनाऊँ मैं
मुझे छूकर ऐसे रोशन कर गई है
अब तू ही दुआ बन गई है… अब तू ही दुआ बन गई है.

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