आँखों में अब ख्वाब नहीं सन्नाटा है
जाने किसने हम दोनों को बाँटा है…
बस इतनी सी बात, कि मिलकर रहना है
बस इतना सा ख्वाब, कि संग-संग चलना है
बस थोड़ी सी मोहलत दुनियादारी से
तौबा भी कर ली अपनी खुद्दारी से
फिर भी अब तनहाई से अपना नाता है
आँखों में अब ख्वाब नहीं सन्नाटा है…
सूनी राहों में क्या चलना, क्या रुकना है
अब तो अपना क्या हँसना, क्या रोना है
रूठें किससे और किसे मनाएँ हम
किसको ताकें, किससे नज़र चुराएँ हम
इंतज़ार बस मौत का अब तो रहता है
आँखों में अब ख्वाब नहीं सन्नाटा है…
आँखों में अब ख्वाब नहीं सन्नाटा है
जाने किसने हम दोनों को बाँटा है.
– पवन अग्रवाल
(यह एक फिल्म गीत है, जो मैंने एक समय अपनी प्रोफाइल बनाने और संगीतकारों को दिखाने के लिए लिखा था. आशा है आपको पसंद आया होगा. कृपया अपनी प्रतिक्रिया नीचे कमेंट बॉक्स में अवश्य दें)
3 Comments
Waw kya likha h pawanji aakho m khwab nhi…….h
Thanks a lot!!!
Awesome