तू जो यूँ मुस्कुराने लगी है,
ज़िन्दगी मुझे हँसाने लगी है.
कब से था मुझे इंतज़ार
कब से था मैं बेकरार
कब से ना सोया था मैं
जाने कहाँ खोया था मैं
पर अब थाम के उंगली
ज़िन्दगी घर पहुँचाने लगी है
तू जो यूँ मुस्कुराने लगी है
ज़िन्दगी मुझे हँसाने लगी है.
तू यूँ ही मुस्कुराते रहना
मेरा दिल बहलाते रहना
कल क्या होगा, नहीं पता
फिर भी ये छाँव बनाए रखना
हज़ार गमों के बाद भी
ज़िन्दगी मुझे गुदगुदाने लगी है
तू जो यूँ मुस्कुराने लगी है
ज़िन्दगी मुझे हँसाने लगी है.
3 Comments
Waah kya baat hai… Lajawab …
धन्यवाद भाई!
Good