सतत, लगातार, निरंतर, बिना रुके. ये शब्द यूं तो बड़े साधारण लगते हैं, पर यकीन मानिए, इनमें जादू है, ज़बर्दस्त ताकत है. ये किसी भी काम में सफल होने का बड़ा सरल, लेकिन ताकतवर फ़ॉर्मूला है.
आप सभी ने कछुए और खरगोश की कहानी तो सुनी ही होगी. ये कहानी पीढ़ियों से हमें प्रेरणा देती आ रही है. आज भी ये कहानी स्कूलों में बच्चों को पढ़ाई जाती है, फिर वो स्कूल चाहे कितना ही छोटा या बड़ा हो, सस्ता या महंगा हो या अंग्रेजी या हिन्दी माध्यम का हो.
इस कहानी में सफलता पाने का एक खास मंत्र है, और वो है निरंतरता. जी हाँ, सोचिए तेज़ रफ़्तार से छलांगें मारने वाला खरगोश बहुत धीरे-धीरे चलने वाले कछुए से क्यों हार गया. बस इसलिए कि खरगोश बीच-बीच में रुक गया था और कुछआ चलता रहा था.
आप कोई भी काम शुरू करें, बस उसे करते जाएं. यहाँ गति नहीं, निरंतरता मायने रखती है. हमारे कदम चाहे जितने ही छोटे हों, पर वो आगे बढ़ते रहने चाहिए. आपको पता भी नहीं चलेगा और आप अपनी मंज़िल पर पहुंच जाएंगे.
कई बार हम लोग कुछ नया सीखना शुरू करते हैं, अंग्रेजी में बात करना सीखना, कोई म्यूज़िक इंस्ट्रूमेंट बजाना सीखना, कोई नया सॉफ़्टवेयर या मोबाइल ऐप चलाना सीखना, या फिर कुछ और. तो अधिकांश मामलों में थोड़ा आगे जाकर हम थक जाते हैं और वह लक्ष्य हमसे छूट जाता है. हम मान लेते हैं कि ये हमसे नहीं हो पाएगा. ऐसा इसलिए होता है कि हम पहाड़ की उस चोटी को देखते हैं, जहाँ हमें पहुँचना है, और यहीं हम चूक जाते हैं. हमें छोटे-छोटे लक्ष्य रखना चाहिए और लगातार चलते रहना चाहिए. थक जाएं तो थोड़ा सुस्ता लें, पर रुक न जाएं, लौट न जाएं. अगर कदम चलते रहें तो पहाड़ कितना ही ऊंचा क्यों न हो, उसका शिखर जल्द ही हमारे कदमों में होता है. बस निरंतरता का दामन थामकर रखना चाहिए.
कई लोग लेट-लतीफ होते हैं. हर जगह देरी से पहुंचते हैं. मैंने देखा है कि ऐसे लोग घड़ी ज़्यादा देखते हैं. अब घड़ी का ध्यान रखने वाले को तो समय से चलना चाहिए, पर ऐसा नहीं होता, होता है इसका ठीक उल्टा, क्योंकि घड़ी इसलिए देखी जाती है कि हम अपने मन को समझाना चाहते हैं कि अभी काफ़ी समय है. अब सोचिए कि घड़ी निरंतर चलती है और हम रुकते जाते हैं. आखिर में घड़ी जीत जाती है और हम हार जाते हैं. आप में से जो भी लेट-लतीफ हैं, उनसे मैं एक प्रयोग करने के लिए कहूंगा. आप किसी दिन सुबह उठकर घड़ी मत देखिए, बस निरंतरता का ध्यान रखिए. वक्त कितना हुआ है, इसका विचार छोड़कर बस अपना काम करते रहिए. जब आप अपने गंतव्य पर पहुंचें, तब घड़ी देखें, आपको आश्चर्य होगा कि आप ठीक समय पर पहुंचे हैं. ये कोई चमत्कार नहीं, बस निरंतरता का फल होगा. अपने मन को भटकने न देने का इनाम होगा. अगर आप में सतत चलने का गुण है तो आपकी जीत पक्की है.
हम देखते हैं कि कई बार औसत दर्जे के साधारण लोग कामयाब हो जाते हैं और स्मार्ट और तेज़ लोग पिछड़ जाते हैं. बात वही है. जो चलता रहेगा, वो देर से ही सही, पर पहुँच जाएगा, जीत जाएगा. जो रुकता रहेगा, उससे उसकी मंज़िल दूर होती चली जाएगी. अगर आप खरगोश हैं (टैलेंटेड, स्मार्ट और तेज़) तो बहुत अच्छी बात है, पर अगर आप कछुए हैं (साधारण और धीमे) तब भी निराश न हों, आप जीत सकते हैं, कामयाब हो सकते हैं, क्योंकि कामयाब वही होगा, जो बिना रुके, लगातार चलता रहेगा.
शुभकामनाएं!
आपका
पवन अग्रवाल
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6 Comments
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bahut khub mitra……….
pawan me ab bhini khusbu mahakne lagi hai…….
badhai naye safar ki………
karwa yu hi chalta rahe…….
वाह मित्र! धन्यवाद। इसी तरह ब्लॉग पढ़ते रहो और अपनी प्रतिक्रियाएं देते रहो, और इसे अपने मित्रों के साथ भी शेयर करो। Thank you so much!!!
Pawan m ab bhini khushbu mhkne lagi
Thanks a lot Priya.
Nice