एक मैकेनिक कौन होता है? जो बिगड़ी चीज़ों को सुधार दे. तो हमें भी कोशिश करनी चाहिए कि हम भी अपनी कुछ बिगड़ी चीज़ों को थोड़ा-बहुत ठीक करना जानें.
आप सोच रहे होंगे कि अब मैं आगे फ़िलॉसफ़ी की बातें करूँगा, पर नहीं महोदय, मैं आपको सचमुच एक छोटा-मोटा मैकेनिक बनने को ही कहने जा रहा हूँ.
हमारे घर, ऑफ़िस, दुकान आदि में मौजूद चीज़ें, जैसे नल या पानी के वॉल्व, बिजली के उपकरण, गाड़ी आदि खराब होते ही रहते होंगे. अगर ऐसी कोई चीज़ खराब हो जाए तो आप क्या करते हैं? ज़ाहिर है मैकेनिक को ढूँढते होंगे, उसे फोन करते होंगे, उसके आने का इंतज़ार करते होंगे. और जब तक वह आकर उसे ठीक न कर दे, परेशान होते होंगे, और जब वो ठीक करके चला जाए, तो ज़्यादा पैसे लग जाने पर भुनभुनाते भी होंगे.
तो जनाब, मेरी राय है कि ऐसी कोई गड़बड़ी हो तो मैकेनिक बुलाने से पहले थोड़ा अपना दिमाग भी लगा लें. हो सकता है कि बस कोई तार निकल गया हो, कोई कचरा फँस गया हो, और छोटी सी कोशिश में ही वह चीज़ ठीक होकर फिर काम करने लगे. अगर आपको थोड़ी सी भी मैकेनिकी आती है, तो यकीन मानिए, इससे न केवल आपका पैसा बचेगा, बल्कि आपका समय भी बचेगा और आप व्यर्थ परेशान होने से भी बचेंगे.
पर इसके लिए ज़रूरी है कि आपके पास थोड़ा समय हो और साथ ही आपके मन में इसके लिए थोड़ी रुचि और कुछ ज़रूरी औज़ार भी हों. मेरे विचार से हर घर में एक छोटा-मोटा टूल बॉक्स होना चाहिए, जिसमें ज़्यादा कुछ नहीं तो कुछ बुनियादी चीज़ें हों, जैसे स्क्रू ड्राइवर (पेंचकस), प्लायर (चिमटा या पकड़), करंट चेक करने वाला टेस्टर, अलग-अलग साइज़ की कीलें, स्क्रू और नट-बोल्ट, नट खोलने वाले पाने (रिंच), एलेन की सेट, ड्रिल मशीन, आदि. बस इतने से आपका काफ़ी सारा काम हो सकता है.
अगर आप चाहें तो ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइटों से भी ऐसे टूल बुलवा सकते हैं. कुछ तैयार किट भी होते हैं, जिनमें काफ़ी सारे औज़ार होते हैं और ये सस्ते भी होते हैं. हमेशा अच्छे ब्रांड के टूल ही खरीदें, जो मज़बूत और टिकाऊ हों और काम भी अच्छा करें.
मुझे लगता है कि ये पढ़ते समय आपके दिमाग में एक बात आ रही होगी – ‘करंट लगने का खतरा’. बिलकुल, खतरा तो है ही. इस मामले में पूरी सावधानी ज़रूरी है, वरना ये जानलेवा भी हो सकता है. पर याद रखें, हम सावधानी रखें, डरें नहीं. दुर्घटनाएं वहीं होती हैं, जहाँ सावधानी नहीं बरती जाती है. बाकी तो वो कहावत है ना कि किस्मत खराब हो तो ऊंट पर बैठे व्यक्ति को भी कुत्ता काट लेता है.
तो भई ऐसा है कि अगर आप किसी बिजली के उपकरण को ठीक करने जा रहे हों तो सबसे पहला काम ये करें कि खुद को ज़मीन के संपर्क से दूर करें, इसके लिए सबसे पहले अपने पैरों में रबर या प्लास्टिक की चप्पल पहनें (जो सूखी हो) और खड़े होने या बैठने के लिए किसी प्लास्टिक या लकड़ी के स्टूल या कुर्सी का उपयोग करें. अगर हो सके तो रबर के दस्ताने भी पहन लें. इससे आपको करंट लगने की संभावना बहुत कम हो जाएगी. (आगे आपकी किस्मत)
अब दूसरी बात है नॉलेज न होने की. तो ऐसा है कि जहाँ चाह, वहाँ राह! बहुत से तरीके हैं. सबसे अच्छा और सुलभ साधन है यूट्यूब पर उपलब्ध विडियो. अगर आपको किसी भी उपकरण या किसी अन्य चीज़ के बारे में जानकारी चाहिए हो तो गूगल करें. उस पर आपको बहुत तरह की सामग्री और विडियोज़ मिल जाएंगे, जिससे आपको अपने काम की जानकारी मिल जाएगी और आप अपनी खराब चीज़ को ठीक करके स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर सकते हैं.
फिर भी बात नहीं बने तो परेशान न हों, ज़िद न करें और सीधे-सीधे मैकेनिक को बुला लें. (आखिर उसे भी तो चार पैसे कमाने हैं). जब आप किसी मैकेनिक से कोई चीज़ ठीक करवा रहे हों, तो ध्यान से देखें कि वो उसे कैसे ठीक करता है. इससे आपका ज्ञान का भंडार बढ़ेगा. और मैं आपको जो मैकेनिकी करने को कह रहा हूँ, वो सिर्फ़ छोटी-मोटी खराबियों के लिए ही है, जैसे कोई वायर निकल जाना, कोई स्क्रू ढीला हो जाना, कोई कचरा फँस जाना, बैटरी बदलने की ज़रूरत होना, आदि. जिसके कारण आपको लंबे समय तक परेशान रहना पड़ता है. बाकी अगर आप ज़्यादा डीप में चले गए तो होगा ये कि पहले तो आप ढेर सारी माथा-पच्ची करके परेशान हो जाएंगे, रायता फैल जाएगा, घर वाले नाक-मुंह बनाएंगे और खरी-खोटी सुनाएंगे, और आखिर में जब मैकेनिक भैया को बुलवाएंगे तो उसके सामने भी शर्मिन्दा होना पड़ेगा. तो कोशिश करें कि ऐसी स्थिति न आए.
अगर मैं अपनी बात करूँ तो मुझे बचपन से बड़ा शौक रहा मैकेनिकी करने का. अब तो मेरे पास औज़ारों का एक बड़ा ज़खीरा हो गया है और मैं अपनी बहुत सी चीज़ें खुद ही ठीक कर लेता हूँ, इनकी लिस्ट लंबी है, पर इनमें से कुछ हैं कार, स्कूटर, पंखा, फ्रिज, कूलर, एसी, गीज़र, घड़ी, नल, पाइप, गैस चूल्हा, रेडियो आदि… आदि… आदि… ये एक मीठी खुजली की तरह है, जो बड़ी आनंददायक है. कभी-कभी तो मैं अपने खराब मूड को ठीक करने के लिए ऐसी ही किसी समस्या-ग्रस्त चीज़ को ठीक करने बैठ जाता हूँ और नतीजा… ढेर सारा सुकून, मन का हलकापन और गर्व की अनुभूति.
पर ये तो स्वभाव-स्वभाव की बात है. कुछ पाठकों को तो मेरी ये सब बातें बकवास लग रही होगी. पर मुझे उम्मीद है कि अधिकांश लोग मुझसे इत्तेफ़ाक रखते होंगे. ज्ञान कोई भी हो, कैसा भी हो, कहीं से भी मिले, ले लेना चाहिए. आपका कोई भी कौशल या हुनर कभी व्यर्थ नहीं जाता. कभी-कभी तो आपात स्थिति में ये संजीवनी बूटी की तरह काम आता है.
नमस्कार
आपका
पवन अग्रवाल
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1 Comment
Ise pdne kafi mja aaya
Bhut kub