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बस दो सेकंड…

दो सेकंड… बस दो सेकंड… ये वक्त ही कितना होता है! पर दो सेकंड का ये छोटा सा टुकड़ा बहुत कुछ बदल सकता है. बड़ी ताकत है इस दो सेकंड में! ये बहुत कुछ बिगड़ने से बचा सकता है… ये बहुत कुछ सँवार सकता है… ये आपको ऊंचा उठा सकता है… बड़ा बना सकता है.

चलिए पहेलियाँ बुझाना बंद करें और आपको सीधे-सीधे बताएं कि ये दो सेकंड आखिर है क्या. दोस्तों, कई बार किसी से बातचीत करते समय, कोई इंटरव्यू देते समय, किसी को अपनी प्रतिक्रिया देते समय हमसे अक्सर गलती हो जाती है. हम वो कह या कर देते हैं, जिस पर अगले ही पल हमें अफसोस होता है. कभी-कभी एक गलत जवाब या एक गलत कदम कितना कुछ बिगाड़ देता है. कई बार तो इससे हमारे जीवन की दिशा ही बदल जाती है.

हम कई बार सुनते हैं कि जो करो, सोच-समझकर करो, बिना बिचारे जो करे, सो पाछे पछताय! पर कई बार हमें स्पॉन्टेनियस होना पड़ता है, हमारे पास सोच-विचार के लिए ज़्यादा वक्त नहीं होता है. ऐसे में आपके बड़े काम के हो सकते हैं ये दो सेकंड.

जी हाँ, जब आप किसी से किसी खास मसले पर बात कर रहे हों, तो जवाब देते समय बस दो सेकंड रुकें. ये दो सेकंड का पॉज़ मालूम भी नहीं पड़ेगा और आप गलत जवाब देने से बच जाएंगे, क्योंकि तुरत-फुरत या हड़बड़ी में कई बार हमारे मुंह से ऐसी बात निकल जाती है, जो नहीं निकलनी चाहिए. ये दो सेकंड के लिए रुकना आपको ऐसी कई दुर्घटनाओं से बचा सकता है.

दुर्घटना से याद आया, दुनिया में जितनी भी दुर्घटनाएं होती हैं, वो कुछ सेकंड या फिर पल भर के इधर-उधर होने से ही होती हैं. आप किसी बिजली के उपकरण का उपयोग कर रहे हों, या फिर गाड़ी चला रहे हों, बस दो सेकंड का पॉज़ रखें. थोड़ा सा रुक जाएं, थोड़ा सा ब्रेक लगा दें, थोड़ा सा ध्यान रख लें, बस दो सेकंड, देखिएगा, बहुत कुछ बुरा होते-होते रह जाएगा.

अगर आप लोगों के सामने माइक पर कुछ बोल रहे हैं, वहाँ भी दो सेकंड वाला ये फ़ॉर्मूला अपनाएं, आपके मुँह से कोई गलत बात नहीं निकलेगी, आपके भाषण की धारा-प्रवाहता बनी रहेगी, आप कहीं अटकेंगे नहीं, क्योंकि ये दो सेकंड का रुकना आपके लिए अंधेरे में टॉर्च का काम करेगा, ये आपको ठोकर लगने से बचाएगा, आपको सही रास्ता चुनने में मदद करेगा.

हम कई बार बोलते हैं कि ज़बान फिसल गई, मुंह से निकल गया, तैश में या जल्दबाज़ी में गलत हो गया, किसी पर हाथ उठ गया, बरसों के रिश्ते टूट गए. ऐसे वक्त में आपको बस दो सेकंड ही रुकना है. ये दो सेकंड का छोटा सा अंतराल आपके विवेक को जागृत रखेगा, आपको नीति और कायदे का बोध करवाएगा, आपका कद ऊंचा करेगा, आपको बड़प्पन दिलवाएगा.

कई बार किसी महत्वपूर्ण परीक्षा में या किसी इंटरव्यू में एक गलती से नतीजे बदल जाते हैं. बस दो सेकंड रुकें और फिर आगे बढ़ें, बहुत मुमकिन है कि आप गलत कदम उठाने से बच जाएंगे. आपका पैर कीचड़ के गड्ढे में नहीं पड़ेगा, और नतीजे आपके पक्ष में आएंगे.

चाहे कैसी भी स्थिति आ जाए, हड़बड़ी या जल्दबाज़ी न करें. चौराहे पर लगे सिग्नल का यही तो रूल होता है – रुको, देखो और फिर आगे बढ़ो. ये रुकना, ये देखना बिलकुल उस वाहन चालक की तरह है, जिसका पैर एक्सेलरेटर पर होने के बावजूद ब्रेक दबाने के लिए हमेशा तैयार रहता है. इनका एक्सिडेंट शायद ही कभी होता है, क्योंकि वे जानते हैं कि कहां रुकना है, वे जानते हैं कि गंतव्य तक पहुंचने में भले ही कुछ मिनट देरी होगी, पर उनकी गाड़ी और वे खुद, वहाँ सही-सलामत और खुशी-खुशी पहुँचेंगे.

तो दोस्तों, इस दो सेकंड के फ़ॉर्मूले को गाँठ बाँध लें और इसे एप्लाई करके देखें, आपको बड़ा फ़ायदा होगा. फ़ायदा हो तो मेरी फ़ीस देना न भूलें, अब मेरी फ़ीस क्या है, ये तो आप जानते ही हैं – अच्छी बातें हमेशा शेयर करनी चाहिए.

नमस्ते!

आपका

पवन अग्रवाल

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