कोई भी बात हो, थोड़ा सा मुस्कुरा दो!
हाँ, सबकुछ अच्छा है
और जो नहीं है, वो भी अच्छा हो जाएगा
हर बिगड़ी बात को बनने का मौका दो
कोई भी बात हो, थोड़ा सा मुस्कुरा दो!
ज़िन्दगी के सफर में हम यहाँ तक आए हैं
थोड़ा रोए हैं, तो थोड़ा हँसे-गुनगुनाए हैं
हमारे सोचने से हालात कभी बदले नहीं
जो होना था वही हुआ, हम उसे कभी रोक पाए नहीं
कितनी ख्वाहिशें, हसरतें, तमन्नाएँ पालते रहे
कभी तो कुछ होगा, यही सोचकर चलते रहे
कभी धूप, कभी काँटे, कभी अंधेरा साथ रहा
राह के हर मोड़ पर फिर एक नया रास्ता मिला
थोड़ा सा रुको, इन रास्तों को गुज़र जाने दो
कोई भी बात हो, थोड़ा सा मुस्कुरा दो.
हमेशा हमारे मन का ही हो, ये ज़रूरी तो नहीं
हमेशा हम ही जीतें, ये ज़रूरी तो नहीं
कभी हम भी इस खेल के महज़ दर्शक बन जाएं
हमेशा मैदान में जाकर खेलें, ये ज़रूरी तो नहीं
कोई जीते, कोई हारे, आप तो तालियाँ बजा दो
कोई भी बात हो, थोड़ा सा मुस्कुरा दो.
ये ज़िन्दगी तो एक पड़ाव है, मंज़िल नहीं
ये सफ़र तो बहुत लंबा है, इसका ये अंत नहीं
आगे और भी मौके आएंगे, इंतज़ार करो
स्लेट पर लिखी ये इबारत आखिरी नहीं
जीतना ही है तो जीतो अपने मन को,
इस बेलगाम घोड़े पर लगाम कसो, इसको हरा दो
कोई भी बात हो, थोड़ा सा मुस्कुरा दो.